निकले जो जनाज़ा मेरा दो फूल गिरा देना,
मिलने की तमना हो उन्हें तो ये कफ़न हटा देना....
मुझे नींद की इजाज़त भी उनकी यादों से लेनी पड़ती है,
जो खुद आराम से सोये हैं मुझे करवटों में तन्हा छोर कर..!!!
वो टूट चूका था मोहब्बत में ,
मगर उस को मोहब्बत से कोई शिकायत नहीं थी..
अक्सर खुदा सब कुछ ही छीन लेता है लोगो से ,
मिलने की तमना हो उन्हें तो ये कफ़न हटा देना....
मुझे नींद की इजाज़त भी उनकी यादों से लेनी पड़ती है,
जो खुद आराम से सोये हैं मुझे करवटों में तन्हा छोर कर..!!!
मगर उस को मोहब्बत से कोई शिकायत नहीं थी..
अक्सर खुदा सब कुछ ही छीन लेता है लोगो से ,
ये तो फिर भी एक नाकामयाब मोह्बत् थी...
चलते चलते राहों में उस का रास्ता तकती हूँ,
एक दिन इंशा’अल्लाह हमारा होगा मिलान,
इस उम्मीद के सहारे दिल बहला लेती हूँ...
एक दिन इंशा’अल्लाह हमारा होगा मिलान,
इस उम्मीद के सहारे दिल बहला लेती हूँ...
नमाज़ पढूं तो दुआ में हाथ उठती हूँ,
अकेले में हूँ तो खुदा से तेरी लिए फरयाद कर लेती हूँ....
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