Wednesday, 8 March 2017

Dil Ki Baat Shayari Ke Saath - Allama iqbal shayari

गुज़र गया वो वक़्त जब तेरे तलबगार थे हम.
अब खुद भी बन जाओ तो सजदा न करेंगे..!

कितने आंसू बहूँगा उस बेवफा के लिए
जिसको खुदा ने मेरे नसीब मैं लिखा ही नहीं….


मेरी बहादुरी के किस्से कितने मशहूर थे इस शहर में,
पर तुझे खो जाने के डर ने मुझे कायर बना दिया.....

मैंने कहा की बहुत प्यार आता है तुम पर,
वो मुस्कुरा की बोले और तुम्हे आता ही क्या है......

चलो अच्छा हुआ काम आ गयी दीवानगी अपनी,
वरना हम ज़माने भर को अपनी मोहब्बत समझाने कहाँ जाते?

मैं जो चाहों तो अभी तोड़ लु हर प्यार का नाता तुम से,
पर कम्भख्त मैं बुजदिल हूँ न जाने क्यों मुझे मौत से डर लगता है....

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