तुमको मिल जाएगा मुझसे बेहतर
मुझको मिल जाए तुमसे बेहतर.
पर कभी कभी लगता है ऐसे
हम एक दुसरे को मिल जाते तो होता सबसे बेहतर...
मेरी इस जीवन के राज़ में एक राज़ तुम भी हो
मेरी बंदगी की आस में एक आस तुम भी हो
कुछ इसलिए भी मेने उसे जाने से नही रोका
क्यों जाता वो अगर वो मेरा होता…
तुम तो कहते थी जुदा होकर मैं सारे सुकून पा लूंगा
फिर क्यों रोती है मेरे दर पर तन्हाई तेरी..!!
मुझको मिल जाए तुमसे बेहतर.
पर कभी कभी लगता है ऐसे
हम एक दुसरे को मिल जाते तो होता सबसे बेहतर...
मेरी इस जीवन के राज़ में एक राज़ तुम भी हो
मेरी बंदगी की आस में एक आस तुम भी हो
कुछ इसलिए भी मेने उसे जाने से नही रोका
क्यों जाता वो अगर वो मेरा होता…
सर्द रातों को सताती है जुदाई तेरी
आग बुझती नहीं सीने में लगायी तेरी
फिर क्यों रोती है मेरे दर पर तन्हाई तेरी..!!
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